प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी कसौली से भड़की थी। 20 अप्रैल, 1857 को अंग्रेजों के सुरक्षित गढ़ कही जाने वाली कसौली छावनी से आजादी के लिए पहली क्रांति शुरू हुई थी। अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति पाने और आजादी के लिए हिमाचली जवानों ने भी इसमें अपने जीवन का बलिदान दिया था। 20 अप्रैल, 1857 को को अंबाला राइफल डिपो के छह भारतीय सैनिकों ने कसौली थाने को जलाकर राख कर दिया था। उस समय अंग्रेजों के शक्तिशाली गढ़ कहे जाने वाले कसौली छावनी में भारतीय सैनिकों द्वारा सेंध लगाने से ब्रिटिश अधिकारी बौखला गए थे। अंग्रेजों ने कई क्रांतिवीरों को पकड़कर जेलों में ठूंस दिया था। कई को फासी पर चढ़ा दिया था। कसौली में क्रांति की ज्वाला से भड़की चिंगारी ने पूरे हिमाचल वासियों में आजादी की अलख जगा दी थी।
अंग्रजो के खिलाफ उठाए हथियारक्रांति की जो चिंगारी कसौली से शुरू हुई थी उससे ड़गशाई, सुबाथू, कालका, और जतोग छावनियों समेत पूरे हिमाचल में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की लहर फैल गई थी। अंग्रेजों ने मेरठ, दिल्ली और अंबाला में भी विद्रोह की सूचना मिलते ही कसौली छावनी के सैनिकों को अंबाला कूच करने के आदेश दिए जिसे भारतीय सैनिकों ने नहीं माना और खुले तौर पर विद्रोह करके बंदूकें उठा लीं। कसौली की नसीरी बटालियन (गोरखा रेजिमेंट) ने भी ब्रिटिश अधिकारियों के अंबाला कूच करने के निर्देश नहीं माने। उस समय कसौली में नसीरी बटालियन हुआ करती थी, इसके सूबेदार भीम सिंह बहादुर थे।
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कसौली ट्रेजरी को भी लूटा13 मई, 1857 को सैनिकों ने अंग्रेजों के ऊपर हमला कर उन्हें धूल चटा दी थी और कसौली ट्रेजरी में रखी चालीस हज़ार की राशि लूट ली थी। अंग्रेजों के तत्कालीन कमिश्नर पी. मैक्सवैल ने अपनी डायरी में लिखा था कि यह हैरत की बात है कि मुट्ठीभर क्रातिकारियों ने अपने से चार गुना अधिक अंग्रेज सेना को हरा दिया था। गौरतलब है कि सिर्फ 45 क्रांतिकारियों ने 200 अंग्रेजों को धूल चटा दी थी। कोष लूटने के बाद नसीरी सेना जतोग कूच कर गई। उसके बाद विद्रोह की डोर स्थानीय पुलिस ने अपने हाथों में ले ली। तत्कालीन दरोगा बुध सिंह ने अंग्रेजों को काफी आतंकित किया। जब वे घिर गए तो उन्होंने खुद को गोली से उड़ा लिया और शहीद हो गए।
वैरागी को फांसी पर चढ़ायापूरे देश में क्राति के संचालन के लिए एक गुप्त संगठन बनाया गया था। पहाड़ों में इसके नेता पंडित राम प्रसाद वैरागी थे जो सुबाथू के मंदिर में पुजारी थे। संगठन पूरे देश में पत्रों के माध्यम से क्राति का संचालन कर रहा था। 12 जून 1857 को इस संगठन के कुछ पत्र अंबाला के कमिश्नर जीसी बार्नस के हाथ लग गए। इनमें दो पत्र राम प्रसाद वैरागी के भी थे, जिससे संगठन का भेद खुल गया। वैरागी को पकड़ कर अंबाला जेल में फासी पर चढ़ा दिया।नही मिलता कसौली क्रांति का इतिहासकसौली से इतनी बड़ी आजादी की लड़ाई लड़ी गई, लेकिन दुख का विषय है कि कसौली की क्रांति के इतिहास को बहुत ही कम लोग जानते हैं। युवा पीढ़ी को तो इस क्राति और शहीदों के बारे में कुछ भ पता नहीं है। कसौली में इस क्रांति और शहीदों के कोई भी नामोनिशा नही मिलते, जबकि कसौली में सरकार को ऐतिहासिक स्तंभ बनाकर उस पर पंडित रामप्रसाद वैरागी, दरोगा बुधसिंह और सूबेदार भीमसिंह बहादुर और कसौली की क्राति का उल्लेख करवाना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी व यंहा आने वाला हर शख्स इस इतिहास को जान सके।
Divya Himachal
बैरागी की जगह लगेगी बोस की प्रतिमा
By: divyahimachal Dec 11th, 2017 12:05 am
सुबाथू — देश में देशभक्तों की बात करें, तो भारत को आजाद करवाने के लिए कई देश भक्तों ने अपनी जान न्यौछावर कर दी। देश को आजाद करवाने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आखिर कौन भुला सकता है । वैसे ही देश को आजाद करवाने में सुबाथू के क्रांतिकारी राम प्रसाद बैरागी ने भी अहम भूमिका निभाई थी। बैरागी ने सन् 1857 में कसौली के क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ जंग में उनका पूरा साथ दिया था। क्रांतिकारी राम प्रसाद बैरागी को अंग्रेजी हुकूमत ने अंबाला में फांसी पर लटका दिया था। सुबाथू छावनी के चौक बाजार में पहले क्रांतिकारी राम प्रसाद बैरागी की प्रतिमा लगाई जानी थी, परंतु अब राम प्रसाद बैरागी की प्रतिमा की जगह देशभक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार राम प्रसाद बैरागी की कोई भी तस्वीर न मिलने के कारण चौक बाजार के सौंदर्यीकरण का कार्य अधर में अटका हुआ है, लेकिन अब जल्द ही छावनी परिषद सुबाथू दोनों देश भक्तों की कुर्बानी का पूरा इतिहास सुबाथू के ऐतिहासिक चौक बाजार में आने वाली युवा पीढ़ी के लिए अनमोल अक्षरों से लिखा जाएगा। छावनी परिषद सुबाथू में ऐतिहासिक चौक बाजार के जीर्णोद्धार का कार्य एक बार फिर से शुरू होने वाला है। सुबाथू के बाशिंदों की बहुत पुरानी मांग थी कि सुबाथू के ऐतिहासिक चौक बाजार का जीर्णोद्धार कर क्रांतिकारी राम प्रसाद बैरागी की प्रतिमा लगाई जाए, जिसके बाद छावनी परिषद ने सितंबर में वहां कार्य भी शुरू कर दिया था ।
इसी चौक पर फहराया जाता है तिरंगा
बता दें कि हर वर्ष की 26 जनवरी और 15 अगस्त को इस ऐतिहासिक चौक पर सैकड़ों उन सभी क्रांतिकारियों को नमन करते है ,जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ना चाहते थे
गदर को कामयाब बनाने के लिए हिमाचल में गुप्तचर संगठन बनाया गया। सुबाथू के नेता राम प्रसाद बैरागी इसके मुखिया थे। वह सुबाथू मंदिर के पुजारी थे। वह संगठन पत्रों के माध्यम से पूरे देश में संपर्क बनाकर जनक्रांति चलाकर अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ना चाहते थे।
बोस की लगेगी प्रतिमा
क्रांतिकारी राम प्रसाद बैरागी की कोई भी तस्वीर नहीं मिली रही है, लेकिन चौक बाजार के जीर्णोद्धार के कार्य को पूरा करना है ,जिसके लिए अब जल्द ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा व क्रांतिकारी बैरागी का प्राप्त इतिहास लिखने की तैयारी की जा रही है
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ರಾಮ್ ಪ್ರಸಾದ್ ಬೈರಾಗಿ
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ಪಂಡಿತ್ ರಾಮ್ ಪ್ರಸಾದ್ ಬೈರಾಗಿ ಹಿಮಾಚಲ ಪ್ರದೇಶದ ಕಸೌಲಿಯ ಸಬತು ದೇವಸ್ಥಾನದ ಅರ್ಚಕರಾಗಿದ್ದರು . ಸಬತುವಿನ ಕ್ರಾಂತಿಕಾರಿ ರಾಮ್ ಪ್ರಸಾದ್ ಬೈರಾಗಿ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಪ್ರಮುಖ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸಿದರು. ಸಾಮೂಹಿಕ ಕ್ರಾಂತಿಯ ಚಟುವಟಿಕೆಗಳನ್ನು ಆಯೋಜಿಸುವ ಮೂಲಕ ಬ್ರಿಟಿಷರನ್ನು ದೇಶದಿಂದ ಓಡಿಸಲು ಅವರು ಬಯಸಿದ್ದರು. ಗಡರ್ನನ್ನು ಯಶಸ್ವಿಗೊಳಿಸಲು ಹಿಮಾಚಲದಲ್ಲಿ ರಚಿಸಲಾದ ಬೇಹುಗಾರಿಕಾ ಸಂಘಟನೆಯನ್ನು ಅವರು ಮುನ್ನಡೆಸಿದರು . 1857 ರಲ್ಲಿ, ಕಸೌಲಿಯ ಕ್ರಾಂತಿಕಾರಿಗಳೊಂದಿಗೆ ಬೈರಾಗಿ ಬ್ರಿಟಿಷರ ವಿರುದ್ಧದ ಯುದ್ಧದಲ್ಲಿ ಅವರ ಸಂಪೂರ್ಣ ಬೆಂಬಲವನ್ನು ಹೊಂದಿದ್ದರು. ಕ್ರಾಂತಿಕಾರಿ ರಾಮ್ ಪ್ರಸಾದ್ ಬೈರಾಗಿ ಅವರನ್ನು ಬ್ರಿಟಿಷರು ಅಂಬಾಲಾದಲ್ಲಿ ಗಲ್ಲಿಗೇರಿಸಿದರು
Adbhuta
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